Saturday, December 9, 2017

जाड़े की धूप
---------------

जाड़े का महीना
कनकनाती सर्दी
ऐसे में
किसी कोने से कोहरे को चीरती हुई
सुनहरे रंग की धूप का आगमन
हल्की सी झिन-झीनी सी|
जिसे देखते मन खिल उठा
और कह उठा
आहा धूप आगयी
बच्चे खिलखिला उठे
घर में उल्लास सा भर उठा
पेड़ पौधे मानो खुशी से झूम उठे
चिड़ियों की ची ची ने मन को प्रफुलित कर दिया
और मन अनायास ही कह उठा
वाह री जाड़े की  धूप
तू तो धन्य हैं,
जो इस कपकपाहट में
इस धरा के चर अचर जीवो में
प्राण का संचार कर दिया
तुझे नमन, स्नेह|
तू सुनहरी तेरा दिन सुनहरा
देख तेरी मातृमयी स्नेह ने
इस मृत्य प्राय संसार में प्राण भर दिया
जाड़े की धूप, ओ जाड़े की धूप |