Saturday, February 15, 2014

Poem dedicated to HIM who dwell in everything in this Universe



I just wrote below poem on Almighty..O lord at Thy lotus feet:



हे परमपिता! तुम सर्वव्यापी
तुम कालजयी, तुम अविनाशी!!
स्वर्णिम किरणें उषा की
जब छा जाती क्षितिज पर, पत्तो पर
एक नव-जीवन, नव-स्फूर्ति का
एहसास सा होता कन कन में
छा जाता नव-उल्लास कन कन में
होता प्राणो का संचार इस धरा पर
तुम उषा, तुम किरण, तुम इस धरा के कन कन में


हे परमपिता! तुम सर्वव्यापी
तुम कालजयी, तुम अविनाशी!!

तुम सदृशय, तुम अदृश्य
तुम ज़रा, तुम अजरा
तुम पारा, तुम अपरा
तुम भोग, तुम करता
तुम माया, तुम अमाया
तुम साकार, तुम निराकार
तुम अगम्य, तुम अगोचर
तुम रहस्य, तुम अरहस्य

हे परमपिता! तुम सर्वव्यापी
तुम कालजयी, तुम अविनाशी!!
हम निर्जीव, हम शून्यांश
करे वंदन तुम्हारी
तुम शब्द्द, तुम लेखनी
तुम विचार, तुम कविता
तुम हर क्षण!! श्वास पर-श्वास
हे शरणागत! हम शरणागत
करे सर्वस्य तुझको अर्पण

हे परमपिता! तुम सर्वव्यापी
तुम कालजयी, तुम अविनाशी!!

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