Saturday, September 9, 2017
Choti Maa ....Rest In Peace!!
Ram Naam Satya Hain !! This was hitting my ear very hard today..when we were holding you on Bier..I was thinking So soon...Choti Maa!!
Choti Maa....This is what we asked as kids what should we call you ..when you first came to our House in Kiriburu after Marriage during 2nd week of March 1991......You told .. call me Choti Maa!! in your evergreen smile...
Can't believe you are no more....Can't forget your smile, your motherly love for us.
Whether it was managing house during big gathering...right from cooking to managing guest..you were amazing.
whenever me and my friends wanted to have good food....it was you who never hesitate to host us with variety of cuisines...and the way you use to host feast for us.
when we don't want to study..it was you who use to protect us from Dad. Your words still in my ear..Jaan dijiye bhaiya...mat daantiye....ye padh lenge....and Dad use to cool down..!! For me , Chotu & Sonali you were more like eleder Sister!!! Year 1991 was full of fun..laughter and year of our Choti Maa.
Time started ticking....we all became busy in our world....Life was going on..with full swing.
Though we were busy in our lives..but whenever family needs you ...you were there for Family and family for you.....!! whether it was our marriages or Whether it was dark days when dad was sick and admitted in Vellore during 2003-04 ..you and Chaacha always there for us. You and chaacha among few who stood with us during those testing times....
I saw your determination after chaacha passed away in Aug 2007... The way you Stood up for Golu's education..... you worked hard with great determination and excel in your business.You set example for other.
Never thought in dream that you would leave us so soon...choti Maa.
Please keep smiling always...wherever you are!! Rest in peace ..Choti Ma!!
मैने समय को जाते देखा
सुबह रुकता नहीं, दिन थमता नहीं
काली, अंधियारी रात होती हैं
डर सा लगता हैं ...पर वो भी छट जाती हैं
फिर सूरज निकलता हैं, नयी आशा बिखेरता हैं
हर तरफ नया उमंग ..नयी तरंग
मन करता हैं काश थोड़ी देर सुबह रुक जाता
पर सुबह रुकता नहीं, पर सुबह रुकता नहीं
बालपन खेलता हैं, माँ की लोरियों में, पिता के कंधे पर
घर में छा जाता हैं नया उल्लास, नयी उमंग
घर गूँज उठता हैं ठिठोलियों से, शरारतों से
माँ कहती हैं ओ बालपन थोड़ा तो ठहर जा
पिता कहता हैं कुछ देर और तो खेल ले मेरे कंधो पर
पर बालपन रुकता नहीं, पर बालपन रुकता नहीं
ऋतु आती हैं, ऋतु जाती हैं
लोग मिलते हैं, लोग बिछड़ते हैं
कभी लगता हैं- काश कुछ देर ये पल, ये लोग रुक गये होते
कोई रुकता नहीं, कोई थमता नहीं
मैने हज़ार कोशिशें की,
उस सुनहरे पल को पकड़ने की, उसे थामने की
पर मैं हर बार हारा, गिर पड़ा, थक गया
मेरी मुट्ठी खाली ही रही, कुछ ना लगा मेरे हाथ
बहुत रोया, बहुत छटपटाया, पर कुछ ना हुआ
वो पल निकल गये, वो पल बदल गये
मैने हज़ार कोशिशें की
उस बुरे वक़्त को भगाने की, बहुत दूर भगाने की
पर मैं फिर हारा, गिर पड़ा, थक गया
कुछ ना हुआ, वक़्त अपनी गति से चलता रहा
मैं मूक बन कर देखता रहा, असहाय सा!!
दुआ करता रहा, प्रार्थना करता रहा
मेरी कोशिशो से अंजान, ये पल भी निकल गये
मैं सोंच रहा था
ये सब क्षण भंगूर हैं
हम सभी इस समय के पथिक हैं
हम सब अकेले हैं इस सफ़र पे
हूमें बस चलना हैं,
कभी मिलना हैं कभी बिछड़ना हैं
कभी हँसना हैं कभी रोना हैं
कोई इसे रोक सकता नहीं, कोई इसे बदल सकता नहीं
हम सब हैं इसके आगे शुन्य मात्र,
एक मूक दर्शक मात्र!!
इस समय के पहिए मैं पिसते जाना हैं, पिसते जाना हैं
देखो!! मैने समय को जाते देखा
देखो!! मैने समय को जाते देखा
Luv U Choti Maa!! Keep Smiling!!!
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